रिश्तों की दोर भी अजीबसी होती है
जिसे बांधे रखना चाहो
अकसर ...वहीं छूट जाता है !
कभी कहीं कौन मिल जाए
कहै नहीं सकते
जाने कब कोइ... हमसफर बन जाता है !
बस चलते जाना है
उन मोड पे मुडते जाना है
जींदगी पल पल ..तुझे खूब जिये जाना है !!
..... bhavna
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