Monday, August 22, 2016

zindagi

रिश्तों की दोर भी अजीबसी होती है
जिसे बांधे रखना चाहो
अकसर ...वहीं छूट जाता है !

कभी कहीं कौन मिल जाए
कहै नहीं सकते
 जाने कब कोइ... हमसफर बन जाता है !

बस चलते जाना है
उन मोड पे मुडते जाना है
 जींदगी पल पल ..तुझे खूब जिये जाना है  !!
                  ..... bhavna

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