Monday, August 16, 2021

वो राह अंजानी ...

 ती .......... 

जुनी पण परिस्थिती आजची ... 

कदाचित आता कायमची ! 


अंजानी मंझील 

अंजानी गलियॉं 

वो राह अंजानी 


अंजानी उन सुर्खियोंमें 

अजनबी तूम ..

अजनबी हम .. 


एक ख्वाब अधुरासा 

एक शाम धुंदलिसी

वो बढ लहा अंधेरा 

वो खत्म हो रहा .... शुरज कहीं 


उन अजनबी चेहरों के बीच 

कुछ जाना कुछ पहचाना

एक खिलखिलाता चेहरा 

वो मासूम जिंदगी 


एक मासूम अब तैयार खडी 

अंजानी राह पर 

अंजानी सफर की ओर 

एक अजनबीसी .....


Bhavna


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